Alauddin Khilji Story in Hindi/अलाउद्दीन खिलजी की कहानी और इतिहास

Alauddin Khilji Story in Hindi: अलाउद्दीन खिलजी की बात की जाएं तो वह खिलजी वंश के दूसरे शासक थे। अलाउदीन खिलजी निदर्यी और लड़ाकू स्वभाव के थे और वह भारत के इतिहास में अपने निर्दयी और लड़ाकू नेचर के लिए मशहूर थे। खिलजी एक बहुत ही शक्तिशाली और कुशल रूलर था। उसने अपने समय में काफी लूटपाट की और पूरे देश में कोहराम बचा दिया। उसने अपने साम्राज्य को और बड़ा करने के लिए हर जगह लूटपाट की और अपने साम्राज्य को काफी बड़ा लिया। चलिए जानते है अलाउद्दीन खिलजी के जीवन के बारे में, उनकी पत्नी कौन थी, उनके शासन काल के बारे में, उनका जन्म कब हुआ, इतिहास के बारे में बताने जा रहे है।

Alauddin Khilji Story in Hindi
Alauddin Khilji Story in Hindi

अलाउदीन खिलजी साउथ इंडिया (दक्षिण भारत) को जीतने वाला पहला मुस्लिम राजा था। जानकारी के लिए बता दें, खिलजी ने अपने अपने शासन काल में दक्षिण में मदुरई तक अपने साम्राज्य को और बड़ा कर दिया था। अलाउदीन खिलजी के बाद ये 300 साल बाद भी कोई भी रूलर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा नहीं कर पाया था वह अपने आप को दूसरा अलेक्ज़ेंडर सिकंदर समझता था

अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 

जैसा की हमने आपको बताया की अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश के दूसरे रूलर थे, बता देते है अलाउद्दीन खिलजी का अस्सली नाम अली गुरशास्प उर्फ़ जूना खान खिलजी था। हाजी उद दबीर के अनुसार 16 वीं-17 वीं शताब्दी में अलाउद्दीन का जन्म कलात, ज़ाबुल प्रान्त, अफ़्ग़ानिस्तान में हुआ था। वह एक इम्पीरियल रूरल था। अलाउदीन को अपने मतलबी होने के वजह से सिकंदर ए सनी का खिताब दिया गया था जिसका मतलब होता है दूसरा सिकंदर। खास बात तो ये है कि उसने अपने शासन काल के समय शराब पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी।

खिलजी ने की अपने चाचा की लड़की से शादी

अलाउद्दीन खिलजी की शादी उनकी चाची यानी उनकी चहेरी बहन से ही हुई है। जी हां अलाउदीन खिलजी जिनका नाम शिहाबुद्दीन मसूद था। लेकिन जानकारी के लिए आपको बता दें, की खिलजी वंश के पहले रूलर जलालुद्दीन खिलजी यानी कि उनके चाचा थे। अलाउद्दीन खिलजी के पिता की मृत्यु के बाद उनके चाचा जलालुद्दीन ने ही अलाउद्दीन खिलजी का लालन-पालन अपने खुद के बेटे की तरह किया था और साथ ही उन्होंने अपनी बेटी का निकाह भी उन्ही से किया।

लेकिन आपको बता दें, अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलालुद्दीन की बेटी से शादी करके खुश नहीं थे क्यूंकि जलालुदीन के सुलतान बनने के बाद उनकी बेटी एक राजकुमारी बन गयी थी जिसके बाद उनके बर्ताव में बहुत ही ज्यादा घमंड आ गया था।

अलाउद्दीन ने की थी अपने चाचा के साथ बगावत

कारा के राज्यपाल मलिक छज्जू ने साल 1291 में सुलतान के राज्य में विद्रोह किया था, इस समस्या को अलाउद्दीन ने काफी अच्छे से संभाला है जिसके बाद अलाउद्दीन को कारा कर राज्यपाल घोषित कर दिया। बता देते है मलिक छज्जू ने जलाउद्दीन को एक अप्रभावी रूलर माना और मलिक छज्जू ने अलाउद्दीन को दिल्ली राज्य का सिंघासन हड़पने के लिए उकसाया।

लेकिन बता देते है कि जलालुद्दीन को हराना पर उसके साथ विश्वासघात करना इतना आसान नहीं था क्यूंकि उसे हारने के लिए अलाउद्दीन खिजली और मलिक छज्जू को एक बड़ी सेना और हथियारों की जरूरत थी जिसके लिए उन्हें पैसे चाहिए थे। पैसे प्राप्त करने के लिए अलाउद्दीन ने अपने आसपास के हिन्दू एम्पायर में लूटपाट करना शुरू कर दिया। जिसके बाद साल 1293 में अलाउदीन ने भिलसा (एक अमीर शहर) में लूटपाट की और फिर जलालुद्दीन का विश्वास प्राप्त करने के लिए सारी लूट को जलालुद्दीन को दे दी। जिसके बाद जलालुदीन ने खुश होकर खिलजी को युद्ध सेना पति नियुक्त कर दिया और अपनी सेना को और अधिक मजबूत करने के लिए उन्हें राजस्व बढ़ाने के बहुत मैन अधिकार दे दिया।

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बता देते है, भिलसा में लूट करने के बाद अलाउद्दीन खिलजी साल 1296 मिया देवगिरि में अपनी अगली लूट की। खिलजी ने वह महंगे रत्न, कीमती मेटल्स, रेशम के उत्पादक, घोड़े, हाथियों और कई सारे दासों के साथ बहुत अधिक मात्रा में धन की लूट की।

जानकारी के लिए बता दें, इस बार भी जलालुद्दीन को यह उम्मीद थी कि अलाउद्दीन खिलजी लूट का सारा सामान उसके पास लेकर देगा लेकिन इस बार खिलजी लूट का सारा सामान लेकर दिल्ली की जगह कारा लेकर चला गया। इसके चलते खिलजी ने जलालुद्दीन को एक पत्र भेजा और उस पत्र में दिल्ली ना आने की माफ़ी मांगी। जिसके बाद खिलजी के चाचा यानी जलालुदीन ने अलाउद्दीन से मिलने के लिया कारा आने का फैसला लिया और जलालुदीन करीब 1 हजार सैनिकों की छोटी टुकड़ी के साथ गंगा पार करने के लिए निकल गए।

खिलजी ने किया अपने चाचा की हत्या

जिस समय जलालुद्दीन ने अपनी टुकड़ी के साथ अलाउदीन से मिलने का फैसला किया तब 20 जुलाई 1296 को जलालुद्दीन ने गंगा नदी के किनारे अलाउद्दीन खिलजी के साथ मुलाकात की। मुलाकात के दौरान अलाउदीन ने जलालुद्दीन को गले लगाते समय उनकी पथ पर चाक़ू से धार-धार वार किये। जिसके बाद जलालुद्दीन ने अपने प्राण वही त्याग दिए और उनकी मृत्यु के बाद अलाउद्दीन ने खुद को दिल्ली का नया सुलतान घोषित कर दिया। जिसके बाद अलाउद्दीन ने अपने ऑफिसर्स को कई सैनिकों की भर्ती करने का आदेश किया। बता देते है 21 अक्टूबर 1296 को खिलजी ने फोर्मली तरीके से खुद को दिल्ली का सुल्तान बना लिया।

इसके बाद अलाउदीन ने गुजरात और जैसलमेर में फ़तेह की। गुजरात में राजा कर्ण और खिजली सेना में युद्ध हुआ जिसमे राजा कर्ण हार गए। जिसके बाद कर्ण अपनी पुत्री के साथ भाग कर रामचंद्र देव की शरण में पहुँच गए। लेकिन राजा कर्ण की पत्नी कमला देवी को खिजली के पास भेज दिया गया जिसमे खिजली ने राजा कर्ण की पत्नी का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उससे निकाह कर के शाही हरम भेज दिया। इसके साथ ही बता गुजरात में फ़तेह के बाद खिलजी ने जैसलमेर में फ़तेह की।

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खिलजी का मेवाड़ पर आक्रमण और रानी पद्मावती जौहर

वैसे तो अलाउद्दीन ने कई सारी जगह आक्रमण किया लेकिन चित्तौड़ किले पर किये गए आक्रमण उसके सभी आक्रमणों में से सबसे सुर्ख़ियों में रही है। देखा जाएं तो चित्तौड़ का किला बहुत ही सुरक्षित स्थान बना हुआ था। चित्तौड़ के राजा रतन सिंह और रानी पद्मावती थे। अलाउद्दीन ने चित्तोड़ पर आक्रमण करके महाराजा रतन को हरा दिया था और उन्हें मार दिया . जिसके बाद 28 जनवरी 1303 को खिलजी ने किले पर अधिकार कर दिया।

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Padmavati Kundh

इसी के साथ खास बात यह थी कि महाराजा रत्न की पत्नी रानी पद्मावती की सुंदरता को देखकर अलाउदीन खिलजी उसपर मोहित हो गये और वह पद्मावती को अपना बनाना चाहते थे। लेकिन राजा रतन सिंह की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी पद्मावती ने अन्य स्त्रियों के साथ जोहर कर लिया (यानी कि खुद को आग के हवाले कर दिया)

अलाउद्दीन खिलजी ने किया मंगोलों को परास्त

अलाउदीन ने मंगोल को जलंधर, किली, अमरोह और रवि की लड़ाइयों में हराया। इसमें जब मंगोल सैनिकों में से कुछ लोगों ने अलाउद्दीन खिजली का विद्रोह करना चाहा तो अलाउद्दीन के प्रशासन ने विद्रोहियों को क्रूर दंड दिया।

अलाउद्दीन खिजली द्वारा किया गया निर्माण कार्य

अलाउद्दीन ने स्थापत्य कला के क्षेत्र में वृताकार (सर्कुलर) अलई दरवाजा और कुश्क ए शिकार का निर्माण करवाया। बता दें, अलई दरवाजा तुर्की कला का एक श्रेष्ठ नमूना माना जाता है। 16वी शताब्दी के हिसाब से 8 हजार से जयादा मंगोलों के सिरों का इस्तेमाल अलाउद्दीन द्वारा सीरी किले की स्थापना के लिए किया गया।

Alaudin dwara banaya gya seeri kila
Alaudin dwara banaya gya seeri kila

अलाउद्दीन खिलजी की रहस्यमय मृत्यु 

अलाउदीन खिलजी ने अपने शासन काल में काफी समय तक शासन किया जिसके बाद उसके शासन के आखिरी 4 या 5 सालों में अलाउद्दीन खिलजी की सोचने समझने की शक्ति काफी कमजोर हो गयी थी। जिसके चलते शासन की पूरी कमान मालिक काफूर के हाथों में आ गयी थी। ऐसा कहा जाता है कि मलिक काफूर ने ही अलाउद्दीन खिलजी की हत्या करवाई थी। इस बात का कन्फर्मेशन इस बात से भी की जाती है कि मालिक काफूर ने ही खिलजी के मरने के बाद उन्हें दो बेटों को अँधा करवा दिया साथ ही उसके इन साल के बेटे शहाबुद्दीन को गद्दी पर बैठकर खुद शासन करने लग गया।

अलाउद्दीन-खिलजी-मकबरा
अलाउद्दीन-खिलजी-मकबरा

अलाउद्दीन खिलजी पर बनी फिल्म (Alauddin Khilji Based Movie)

बता देते है संजय लीला भंसाली की हिस्टोरिक मूवी पद्मावती भी अलाउद्दीन खिलजी की याद दिलाती है। लेकिन इस मूवी को देखकर काफी विरोध भी हुआ। इस मूवी में मैन रोल दीपिका पादुकोण (पद्मावती), शहीद कपूर (राणा रतन सिंह) और रणवीर सिंह (सुलतान अलाउदीन खिलजी) के रोल निभाते हुए नजर आये। बता देते है ऐसे कई फिमे रानी पद्मावती के बारे में बनायीं जा चुकी है जिसमे कुछ हिंदी और कुछ तमिल मूवी भी शामिल है। इसके अलावा सबसे पहले दूरदर्शन पर भी इ शो बहरत एक खोज में भी रानी पद्मावती की कहानी को दर्शाया गया था।

तो दोस्तों ये थी अलाउद्दीन खिलजी के जीवन से जुडी थोड़ी बहुत जानकारी। उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आएगी और ऐसी ही जानकारी जानने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।

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