आजादी के अमृत महोत्सव पर कविता: आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू किया गया था। यह महोत्सव प्रधानमंत्री जी द्वारा साल 2021 में 21 मार्च को यानि कि महात्मा गाँधी जी द्वारा शुरू की गई दांडी यात्रा शुरुआत दिवस के दिन से शुरू किया गया है। और हमको प्राप्त इस आजादी के अमृत महोत्सव को शुरू करने का महत्व देश की आजादी के 75 साल पूर्ण होना था। इसी कारण इस महोत्सव को 75 हफ्ते/सप्ताह पहले से ही शुरू किया जा चूका था। और अब यह अमृत महोत्सव 77वें स्वतन्त्रता दिवस यानि की 15 अगस्त 2023 तक यह आजादी अमृत महोत्सव जारी रहेगा। इस बार राष्ट्र आजादी के 76 वर्ष पूर्ण होने वाले हैं। इसकी शुरुआत इस कविता से करते हैं –

आजादी के अमृत महोत्सव पर कविता -1
सर फक्र से उठ जाता है।
जब-जब तिरंगा लहराता है।।
इस देश के वीर शहीदों की
यह तिरंगा याद दिलाता है।।
अपनी मातृभूमि के खातिर
जिन्होंने तन-मन अपने वारे हैं ।।
ऐसे वीर जवानों के किस्से
सब बुजुर्ग बच्चों को सुनाते हैं ।।
लाल किले पर राष्ट्रध्वज
प्रधानमंत्री जब फहराते हैं ।।
हिन्द सेना तब अपना शौर्य ,
पूरी दुनिया को दिखलाती हैं ।।
जय हिन्द और वन्देमातरम का नारा
हम सभी देशवासी लगाते हैं ।।
15 अगस्त के दिन को हम
राष्ट्र पर्व के रूप में मनाते हैं।।

कविता -2 (छोटे बच्चों के लिए)
नन्हे – नन्हे प्यारे – प्यारे, गुलशन को महकाने वाले
सितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के
नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वाले
कहलाते हैं हिम्मत वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के
चलते है हम शान से, बचाते हैं हम द्वेष से
आन पे हो जाएँ कुर्बान, हम बच्चे है हिंदुस्तान के
कविता-3 जलियाँवाला बाग़ में बसंत (सुभद्रा कुमारी चौहान)
यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।
परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।
कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।
लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।
किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।
कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।
तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।
यहाँ सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।

कविता -4 (सरफ़रोशी की तमन्ना)
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है
यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है।
कविता 5
माँ भारती का अभिनंदन
माँ भारती का मिलकर
आओ करले हम वंदन
यहाँ हमारा गौरव भाल
करो इसका अभिनन्दन
तीन रंग में इसका परिधान
केसरिया सफ़ेद हरा है मान
इसके मान पर करूँ अभिमान
यह मेरी ज़िंदगी मेरी जान
इस पर आये पल पल प्यार
जीवन जाऊँ इस मैं वार
यह तो मेरे मन का श्रृंगार
मेरी भारत माँ मेरा संसार
आओ करे मिलके इसे नमन
माँ भारती का अभिनंदन

आजादी के अमृत महोत्सव पर स्लोगन (नारे)
1.अन्न जहाँ का
हमने खाया
वस्त्र जहाँ के
हमने पहने
वह है प्यारा
देश हमारा
इसकी रक्षा कौन करेगा ?
हम करेँगे, हम करेँगे, हम करेँगे
कैसे करोगे, कैसे करोगे, कैसे करोगे?
तन से करेँगे, मन से करेँगे, धन से करेँगे..
2. आजादी का अमृत महोत्सव हम सभी को मिलकर मनाना है,
जन जन की भागीदारी से भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
3. मिलकर आजादी अमृत महोत्सव मनायेंगे,
देश को अपने श्रेष्ठ बनायेंगे।
4. भारत माँ कि सुन लो पुकार,
बुराइयों का कर दो संहार।
5. आजादी नहीं थी इतनी आसान,
इस आजादी के लिए ना जाने
कितने महापुरुषों ने दिया है खुद का बलिदान।
6. जिन वीरों ने दिलवाई आजादी ये हमको,
उनका पर्व आया आज फिर।
झेला दुश्मन का वार
सदा रहेंगे हम उनके कर्जदार।
7. स्वतंत्रता की ये यात्रा अब कभी रुक न पाये,
जान भी चली जाए लेकिन तिरंगा झुकने ना पाये।
8. विश्व में जिसकी ऊँची शान
वह देश हमारा भारत महान।
9. मन में हम सब ने ठाना है,
आत्म-परिवर्तन लाना है।
15 अगस्त के लिए राष्ट्रगीत
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा…।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा…।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा…।
आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा…।
इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा…।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
आजादी का अमृत महोत्सव गीत-2
सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा,
हम बुलबुलें हैं उसकी, वो गुलसिताँ हमारा ( सारे जहाँ…..)
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा ( सारे जहाँ…..)
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा (सारे जहाँ…..)
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा (सारे जहाँ…)
15 अगस्त के लिए शायरी (आजादी का अमृत महोत्सव)
1.ना सरकार मेरी ना रौब मेरा है
ना बड़ा सा नाम मेरा है
मुझे एक छोटी सी बात का गर्व बड़ा है
मै हिन्दुस्तान का हूँ और हिन्दुस्तान मेरा है।
2. कुछ नशा तिरंगे की आन का,
कुछ नशा मातृभूमि की मान का,
हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को,
हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को,
नशा ही कुछ ऐसा है हिंदुस्तान की शान का।
3.आजादी की कभी शाम होने नहीं देंगे,
शहीदों की क़ुरबानी बदनाम नही होने देंगे,
बची हो जो एक बूंद भी लहू की,
बची हो जो एक बूंद भी लहू की,
तब तक भारत माता का आंचल नीलाम नही होंगे देंगे।।
4. कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना
कभी तपती धूप में जल के देख लेना
कैसे होती हैं हिफ़ाजत मुल्क की
कभी सरहद पर चल के देख लेना।।
5. भूल न जाना भारत मां के सपूतों का बलिदान
इस दिन के लिए हुए थे जो हंसकर कुरबान
आजादी की ये खुशियां मनाकर लो ये शपथ
कि बनाएंगे देश भारत को और भी महान।।
6. ना जियो धर्म के नाम पर
ना मरो धर्म के नाम पर
इंसानियत ही है धर्म वतन का
बस जियो वतन के नाम पर।।
7. यह दिन है अभिमान का, है माता के मान का
नहीं जाएगा रक्त व्यर्थ, वीरों के बलिदान का।
8. हम आजाद हैं, ये आजादी कभी छीनने नहीं देंगे
तिरंगे की शान को हम कभी मिटने नहीं देंगे
कोई आंख भी उठाएगा जो हिंदुस्तान की तरफ
उन आंखों को फिर दुनिया देखने नहीं देंगे।
9. गूंज रहा है दुनिया में भारत का नगाड़ा,
चमक रहा आसमान में देश का सितारा,
आजादी के दिन आओ मिलकर करें दुआ,
की बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा।
10. जिसका ताज हिमालय है
जहां बहती है गंगा
जहां अनेकता में एकता है
सत्यमेव जयते जहाँ नारा है
वह भारत देश हमारा है।
11 चलो फिर से वो नजारा याद कर लें
शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला वो याद कर लें
जिसमें बहकर आजादी पहुंची थी किनारे पर
बलिदानियों के खून की वो धारा याद कर लें।
12. चड़ गये जो हंसकर सूली, खाई जिन्होने सीने पर गोली
हम उनको प्रणाम करते हैं, जो मिट गये देश पर… हम उनको सलाम करते हैं।
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Swatantrata ka Amrit Utsav Samaj Mana rahe hain main iske liye bahut hi Khush hun Azadi ke 75 Sal ho gaye hain ham log iske liye bahut khush Hain