कर क्या होता है: किसी भी प्रकार के कार्य करवाने के लिए सरकार को भी धन की जरूरत होती है, और कर यानि कि टैक्स सरकार की आमदनी के स्रोतों में से एक मुख्य स्रोत है। किसी भी राज्य सरकार द्वारा या केंद्र सरकार द्वारा लोगों और अलग-अलग संस्थाओं से जो अतिरिक्त अधिभार या धन लिया जाता है वह कर कहलाता है। सामान्यतौर से कर धन के रूप में लिया जाता है। लेकिन यह कर पैसों के तुल्य श्रम के रूप में भी लिया जा सकता है। कर 2 प्रकार के होते हैं प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) एक तरह यह देश की सरकार के लिए एक मूलभूत आवश्यकता के रूप में समझा जा सकता है। वहीँ दूसरी तरफ यह किसी राष्ट्र की जनता के लिए यह एक भार (burden) के रूप में भी जाना जा सकता है। आमतौर पर हम सभी लोग टैक्स को एक समस्या, एक बोझ ही समझते हैं। लेकिन देश के विकास और अन्य कार्यों के लिए यह आवश्यक भी है। तो चलिए जानते हैं की यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर क्या है और इनमे अंतर और समानता क्या-क्या है।

कर के प्रकार (प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष)
कर दो प्रकार के होते हैं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर ये कर किस प्रकार से लिए जाते हैं और क्यों लिए जाते हैं, किस प्रकार से लिए जाते हैं। यह आयकर, निगम कर, धन कर जैसे कर प्रत्यक्ष कर होते हैं जबकि मनोरंजन शुल्क, बिक्री कर, उद्योग कर जैसे कई कर अप्रत्यक्ष कर में आते हैं। इन करों में क्या अंतर है और इनका भुगतान किस तरह से किया जाता है इस लेख में बताया गया है।
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
प्रत्यक्ष कर की साधारण सी परिभाषा –यह कर केवल उस व्यक्ति द्वारा भरा जाता है जिस व्यक्ति पर यह लगाया जाता है। प्रत्यक्ष कर में करदेयता/कर का दबाव (Incidence of Tax) और कर-बोझ (Impact of Tax) एक ही व्यक्ति पर होता है। इस प्रकार/प्रत्यक्ष कर में व्यक्ति यह कर किसी दूसरे व्यक्ति पर टाल नहीं सकता है ,यह भुगतान करदाता को स्वयं ही करना होता है। आयकर, निगम कर, धनकर प्रत्यक्ष कर में आते हैं। यहाँ पर प्रत्यक्ष कर की कुछ परिभाषाएँ दी गई हैं –
J.K.Mehta के अनुसार – प्रत्यक्ष कर ऐसा कर है, जिसका पूर्ण भुगतान वह व्यक्ति करता है, जिस पर उसे लगाया जाता है। अर्थात इसका मौद्रिक भार उस व्यक्ति पर होता है, जो कि सर्वप्रथम कर अधिकारी को चुकाता है।
प्रो. डी. मार्को के अनुसार – यदि किसी व्यक्ति की आय का प्रत्यक्ष अनुमान लगाकर उस पर कर लगाया जाता है तो वह प्रत्यक्ष कर कहलाता है
डाल्टन के अनुसार – एक प्रत्यक्ष कर उसी व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जिस पर वह लगाया जाता है।
जेएस मिल के अनुसार – प्रत्यक्ष कर वह है, जो केवल उसी व्यक्ति से माँगा जाता है जिससे सरकार यह चाहती है कि वह भुगतान करे।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
अप्रत्यक्ष कर में कर का दबाव और कर बोझ अलग अलग व्यक्तियों पर पर होता है। अप्रत्यक्ष करों में कर का भुगतान करने वाला व्यक्ति ऐसे करों का बोझ दूसरों पर टालने का विकल्प रखता है। जैसे यह कर भुगतान करने वाला व्यक्ति सरकार को चूका देता है और उसके बाद वे इस कर को अन्य व्यक्तियों से बरामद कर लेते हैं। जैसे की व्यापर कर, सेवा कर, चुंगी कर, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, मनोरंजन शुल्क जैसे कर अप्रत्यक्ष करों में आते हैं। जैसे किसी वस्तु पर लगने वाला कर व्यापारी सरकार को दे देते हैं लेकिन इसके बाद इस कर को वे वस्तु के मूल्य में शामिल कर देते हैं। और फिर उपभोक्ताओं से इस कर को वसूलते हैं।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में अंतर
प्रत्यक्ष कर | अप्रत्यक्ष कर |
इसमें कर भुगतान सीधे तौर से उस व्यक्ति को ही करना होता है जिसपर यह कर लगाया जाता है। | अप्रत्यक्ष कर में करदाता सरकार को कर भुगतान कर देता है लेकिन बाद में यह कर क्रेताओं से वसूला जाता है। |
इसमें कर का दबाव और कर, कर-बोझ एक ही व्यक्ति पर होता है। | इस तरह के कर में कर-बोझ और कर का दबाव दूसरे व्यक्ति पर टाला जा सकता है। |
प्रत्यक्ष कर में जिस व्यक्ति पर कर लगाया जाता है वही व्यक्ति इसका भुगतान करता है। | जबकि यहाँ जिस व्यक्ति को कर भुगतान करना होता है, वो कर देने के बाद कर मूल्य वस्तुओं के मूल्य में जोड़ देता है। |
प्रत्यक्ष कर आय कर, धनकर निगम कर होते हैं। | अप्रत्यक्ष कर बिक्री कर, सीमा शुल्क, मनोरंजन कर, उत्पाद कर जैसी चीजों पर लगाया जाता है। |
यहाँ प्रत्यक्ष कर अंतिम रूप में भी करदाता द्वारा दिया जाता है। | जबकि यहाँ करदाता द्वारा कर को बाँट दिया जाता है। इसका भुगतान आम जनता करती है। |
प्रत्यक्ष कर में यह व्यक्तियों HUF, कंपनियों, फर्म जैसी संस्था आदि पर लगाया जाता है। | और यहाँ ये कर माल और सेवाओं को खरीदने वाले खरीददारों पर लगाया जाता है। |
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में समानता
भुगतान न करने की स्थिति में अर्थदंड – प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में कुछ समानताएं हैं। जैसे की यदि कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष कर का भुगतान करता है, और उसके द्वारा यह समय पर नहीं किया जाता है या फिर कम्पनी,या किसी भी संस्था द्वारा इसका भुगतान नहीं किया जाता है तो इसपर आपको कर के साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इसी प्रकार अप्रत्यक्ष कर में भी है यदि कोई व्यक्ति इस कर का भुगतान न करे तो उसपर जुर्माना लगाया जायेगा।
देरी से कर जमा करने पर ब्याज – दोनों ही करों में यदि आप कर जमा करवाने की स्थिति में देरी कर देते हैं तो यह बढ़ते समय के साथ आपको इसका ब्याज भी देना होगा।
सरकार को भुगतान करना – दोनों प्रकार के करों का भुगतान सरकार को ही किया जाता है, चाहे वो प्रत्यक्ष कर हो या अप्रत्यक्ष कर हो।
अनुचित तरीके से कर से बचना चोरी का कारण मना जायेगा – किसी भी तरीके से कर का भुगतान करने से बचना कर चोरी माना जाएगा जिसके फलस्वरूप सजा भी मिल सकती है।
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