दहेज प्रथा पर निबंध: दहेज़ प्रथा से आज के समय के कौन परिचित नहीं होगा। यह प्रथा तो सदियों से हमारे देश भारत में प्रचलित है। दहेज़ सिस्टम समाज में चल रही बुराइयों में से एक है। ये मानव द्वारा बनायीं गयी एक ऐसी सभ्यता है जो दुनिया भर में कई सारी जगह फैली हुई है। दहेज़ प्रथा का अर्थ है शादी के समय दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे के परिवार को दी गयी रुपये (नकदी), आभूषण, फर्नीचर, सम्पति और अन्य कीमती वस्तुएँ आदि। इस सिस्टम (प्रणाली) को दहेज़ प्रणाली कहा जाता है। परन्तु ये तो आप जानते ही होंगे कि दहेज़ लेना और दहेज़ देना अपराध है। चलिए आज हम आपके लिए दहेज़ प्रथा पर निबंध (Essay on Dowry System) लिखने जा रहे है।

दहेज़ प्रथा पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Dowry System in 200 Words)
प्रस्तावना (Preface)
दहेज़ प्रथा जिसमे दुल्हन के परिवार वाले अपनी बेटी की शादी के समय दूल्हे के परिवार वालों को ढेर सरे उपहार, कीमती चीजे आदि देते है। आज के समय में दहेज़ प्रथा की काफी हद तक निंदा की जाती है लेकिन यह अब भी पहले से लेकर अभी तक चलती ही आ रही है। इसका एक कारण ये भी है कि देश में आज भी ऐसे लोग है जिनका मानना है कि दहेज़ प्रथा का अपना ही महत्व है और लोग इसको फॉलो करना सही समझते है इसी के साथ लोगों का यह भी मानना है कि यह दुल्हन को कई तरीकों से लाभ पहुंचा रही है।
क्या दहेज़ प्रथा से मिलता है कोई लाभ
माता-पिता अपनी बेटी को दहेज़ देकर ससुराल में उसका जीवन सुखमई बनाने की कोशिश करते है दहेज़ प्रथा से कई औरते खुले तरीके से रह पाती है क्यूंकि दहेज़ में मिली नकदी, संपत्ति, फर्नीचर, कार और अन्य प्रॉपर्टी उनके लिए एक वित्तीय सहायता की तरह काम करती है। इससे दूल्हा और दुल्हन अपना जीवन की अच्छी शुरुवात कर सकते है लेकिन क्या यह एक वैलिड रीज़न है? यदि ऐसा ही है तो दुल्हन के परिवार पर पूरा भोज डालने के बजाय दोनों परिवार को उनके करियर बनाने के लिए इन्वेस्ट करना चाहिए।
निष्कर्ष
ये तो सभी जानते है कि दहेज़ प्रथा इतनी जल्दी पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकती लेकिन हमे ये प्रयास करना होगा कि हम इसे सबसे पहले अपने से शुरू करना होगा जिसके बाद ही यह धीरे-धीरे खत्म हो सकेगा अन्यथा हमारी आने वाली पीड़ी के लिए यह प्रथा और भी खतरनाक हो जायगी और ऐसी ही कई महिलाओं के साथ दहेज़ प्रथा के कारण अत्याचार होता रहेगा।
दहेज़ प्रथा पर निबंध 300 शब्दों में (Essay on Dowry System in 300 Words)
प्रस्तावना
दहेज़ प्रथा जो लड़कियों को उनके नए जीवन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए सभ्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गए थी ताकि वह अपना जीवन नए सिरे से शुरू कर सके। आज के समय में वह धीरे-धीरे समाज की सबसे बड़ी बुरी प्रथा में शामिल हो गयी है। बुरी प्रथाओं में बाल विवाह, लिंग असमानता, जाति भेदभाव, दहेज़ प्रणाली आदि शामिल है। सरकार द्वारा इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए कई प्रयास किये गए है परन्तु हमारे समय के लोग इसको एक परंपरा मानकर बढ़ावा दे रहे है लेकिन ये प्रथा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है और इसे रोकना हमारे लिए एक चुनौती बन गयी है। हमे इसे धीरे-धीरे पूरी तरह खत्म करना होगा।
पहले इस कारण दिया जाता था दहेज़
पहले शादी के लड़की का परिवार इसलिए दहेज़ देता था क्यूंकि उस समय लड़की का अपने पिता की सम्पति पर कोई अधिकार यही होता था इसलिए शादी के समय एक पिता अपनी बेटी को आशीर्वाद के रूप में उसका अधिकार दी था लेकिन कुछ समय से इस प्रथा में यह बदलाव आया है कि दूल्हे पक्ष के लोग सामने से दहेज़ की मांग करने लगे है। दहेज़ प्रथा के कारण ना जाने कितनी महिलाओं को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ता है।
दहेज़ प्रथा को रोकने का उपाय
सरकार ने दहेज़ प्रथा को रोकने के लिए साल 1975 में कानून बनाया था। कानून के अनुसार दहेज़ लेना और दहेज़ देना क़ानूनी अपराध है। सरकार द्वारा दहेज़ विरोधी कानून को और एफ्फेक्टेड बनाने के लिए संसदीय कमीटी बनाने का गठन किया है। साल 1983 में दहेज़ से सम्बंधित नए कानून सबके सामने लाये गए। जिसके अनुसार यदि कोई दहेज़ के लालच में किसी भी महिला को आत्महत्या करने पर मजबूर करेंगे उसे व उसके परिवार को दण्डित किया जायेगा। इसी के साथ दहेज़ प्रथा के कारण नारी पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए उपाय करने होंगे। बता देते है यदि कोई व्यक्ति दहेज़ लेता है तो उसे एक्ट 1961 के तहत दहेज़ लेने के लिए 3 साल की सजा हो सकती है।
दहेज़ प्रथा पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Dowry System in 500 Words)
प्रस्तावना
भारतीय संस्कृति में कन्यादान की परम्परा चलने वालों ने नारी जाति के साथ बहुत ही बड़ा न्याय किया है। देश में कन्यादान के साथ दहेज़ दान यानी दहेज़ प्रथा का चलन हमारे यहाँ हजारो सालों से चलता आ रहा है। दहेज़ प्रथा का अर्थ यानी माता-पिता अपनी बेटी की शादी करते समय दूल्हे के परिवार वालों को दहेज़ देते है ताकि उनकी बेटी ससुराल में सुख से रह सके। पहले के समय में माता-पिता दहेज़ के रूप में दो चार बर्तन, कपडे, गाय आदि देते थे लेकिन आज के समय में कन्या के पति बनने की फीस देनी होती है।
दहेज़ के दुष्परिणाम
दहेज़ की वजह से एक सीधा और साधारण परिवार की लड़की और उसके पिता का सम्मान तरीके से जीना मुश्किल हो जाता है। देश में इस प्रथा के कारण ना जाने कितने औरतो की बलि चढ़ चुकी है। लाखो परिवार के जीवन की शांति को नष्ट और इंसान की आनेस्टी को मिटने का अपराध इस दहेज़ प्रथा ने किया है।
दहेज़ का वर्तमान स्वरुप
दहेज़ का वर्तमान स्वरुप आज के समय में बहुत ही घातक और विकराल रूप ले चुका है क्यूंकि आज के समय में यदि लड़की वाले अच्छा दहेज़ नहीं देते तो लड़के वाले लड़की और उसके परिवार का जीना मुश्किल कर देते है और जब तक मुँह माँगा दहेज़ नहीं दो तब तक वह उनकी बेटी को प्रताड़ित करते रहते है और यदि एक कारण होता है कि लड़की आत्महत्या कर लेती है या तो ससुराल वाले लड़की पर बहुत जुर्म ढाते है और उसे मार देते है।
समस्या का समाधान
इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए जनता और कानून को सख्त होना जरुरी है। शासन कानून बनाकर इस दहेज़ प्रथा को खत्म कर सकते है परन्तु बिना जनता के सहयोग यह काम पूरा नहीं हो सकता। इसलिए देश की महिलाओं व कन्याओं को खुद संगर्ष लड़ना होगा और इंडिपेंडेंट बनना होगा। ऐसे घरों का बहिष्कार करना होगा जहाँ लोग केवल महिलाओं को धन प्राप्त करने का एक साधान समझे। इसी के साथ शादी के समय खर्चों की सीमा को भी निर्धारित करना चाहिए और उसका बड़ी कटोरता से पालन किया जाएं।
उपसंहार
देश की सरकार ने दहेज़ प्रथा के विरोधी कानून बनाकर इस प्रथा को रोकने की चेष्टा की है। परन्तु आज के समय में दहेज़ कानून में कई सारी कमियां भी है। सरकार को दहेज़ प्रथा से जुड़े कानूनों को और भी कठोर और मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि जो भी दहेज़ मांगे उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही हो सके। लेकिन इसी के साथ जनता को भी कानून का साथ देना बहुत जरुरी है तभी ये प्रथा पूर्ण रूप से खत्म हो सकेगी।