Gama Pahalwan Biography in Hindi: देश में पहलवानी तो बहुत लोग करते है लेकिन पहलवानी में अपना नाम बहुत ही कम लोग बना पाते है। जी हां, गमा पहलवान का नाम तो सबने ही सुना होगा। जिन्होंने पूरी दुनिया में पहलवानी के क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया। बता देते है गामा एक भारतीय पहलवान है जिनका असली नाम गुलाम मोहम्मद बख़्श बट था। गामा पहलवान को लोग रुस्तम-ए-हिंद के नाम से जाने जाते है। चलिए हजानते है Gama Pahalwan के जीवन परिचय से जुडी अन्य सभी जानकरियों को।

गामा पहलवान का प्रारंभिक जीवन
गुलाम मुहम्मद का जन्म 22 मई 1878 को गांव के एक कश्मीरी मुस्लिम पंडित परिवार में हुआ। गामा पहलवान 20वी सदी की शुरुवात में वह दुनिया के अपराजित कुश्ती चैंपियन रहे है। उन्होंने 10 साल की आयु में ही पहलवानी शुरू कर दी थी वह अपने समय के सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक माना जाता है। गामा पहलवा ने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनायीं थी।
बता देते है जब गामा पहलवानी करते थे तो उस समय दुनिया में कुश्ती के मामले में अमेरिका के जैविस्को का बहुत नाम था लेकिन गामा ने उसे भी हरा दिया था। उन्हें पूरी दुनिया में कोई नहीं हरा पाता था लेकिन एक बार कलकत्ता के दंगल में मथुरा के पहलवान चंद्रसेन टिक्की वाले ने कुश्ती का दांव मार गामा को बेहोश कर हरा दिया था। लेकिन उन्होंने वर्ल्ड चैंपियन का खिताब भी जीता था । जब 1947 में भारत के विभाजन हुआ तब वह पाकिस्तान के नवगठित राज्य में शामिल हो गए और उनका पूरा परिवार लाहौर चले गए । जिसके बाद मई में 1960 को लाहौर में ही उनकी मृत्यु हो गयी।
गामा पहलवान जीवन परिचय, पत्नी, व्यवसाय, परिवार
रियल नाम | गुलाम हुसैन बख्श |
उपनाम | रुस्तम-ए-हिंद, रुस्तम-ए-जमां, द ग्रेट गामा |
अखाड़े में नाम | गामा पहलवान |
व्यवसाय | पूर्व भारतीय पहलवान |
लम्बाई | 5’8 इंच |
वजन | 110 किलो |
शारीरिक संरचना | छाती : 46 इंच, कमर : 34 इंच, डोले : 22 इंच |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
जन्मतिथि | 22 मई 1878 |
जन्मस्थान | गांव जब्बोवाल अमृतसर, पंजाब, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि | 23 मई 1960 |
मृत्यु स्थान | लाहौर, पंजाब पाकिस्तान |
आयु | 82 साल (मृत्यु के समय) |
राशि | मिथुन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृह नगर | अमृतसर, पंजाब |
पिता का नाम | मोहम्मद अजीज बख्श पहलवान |
माता का नाम | जानकारी नहीं है |
पत्नी का नाम | वजीर बेगम |
पसंदीदा भोजन | दूध और दूध से बानी सामग्री |
धर्म | इस्लाम |
जाति | कश्मीरी |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
बच्चे | 4 बेटी, 5 बीटा |
Gama Pahalwan की शिक्षा
गामा पहलवान ने पहलवानी की शिक्षा अपने मामा इड़ा पहलवान से शुरू की जिसके बाद आगे चलकर उन्होंने बहुत ही अभ्यास किया और इसी अभ्यास के कारण उनके जीवन में काफी बदलाव आए। बता देते है जैसे अन्य पहलवानों का अभ्यास था वैसे ही उनका अभ्यास भी सामान्य था लेकिन समानता में भी उन्हें एक चीज सब पहलवान से अलग करती थी कि वह हर एक मैच एक पहलवान से ही नहीं बल्कि 40 प्रतिद्वंदियों के साथ लड़ते थे और उन्हें हरा भी देते थे। गामा रोज 30 से 45 मिनट में 100 किलो हसली पहन कर 5000 बैठक लगाते थे और उसी हसली को पहन कर उतने समय में 3000 दंड लगाते थे।
जाने गामा पहलवान का खानपान
गामा पहलवान की खानपान की बाते करें तो वह इस प्रकार से है:
- डेढ़ पौंड बादाम का पेस्ट
- 10 लीटर दूध
- फलों की तीन टोकरी
- आधा लीटर घी
- दो देसी मटन
- 6 देसी मटन
- 6 देसी चिकेन
- 6 पोंड मक्खन
- फलों का जूस
जाने गामा पहलवान का रिकॉर्ड
कुश्ती कम्पटीशन में भाग लेने के लिए तत्कालीन बड़ौदा राज्य के दौरे पर गामा पहलवान ने 1200 किलोग्राम से अधिक वजन से अधिक वजन का एक पत्थर उठाया था। बता दें, इस पत्थर को अब बड़ौदा संग्रहालय (Baroda Museum) में रखा गया है।
गामा पहलवान की आखिरी कुश्ती की लड़ाई
गामा पहलवान ने अपने करियर के दौरान आखिरी कुश्ती फरवरी 1929 में जेसी पीटरसन के साथ लड़ी थी। यह मुकाबला केवल डेढ़ मिनट तक चला। मुकाबला पूरा होने के बाद इस लड़ाई में गामा विजेता बने।