15 अगस्त पर छोटा भाषण, स्कूल के बच्चों के लिए

15 अगस्त पर छोटा भाषण: 15 अगस्त यानि के आज ही के दिन वर्ष 1947 में हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी के 200 सालों बाद आजादी मिली थी। और आज हम भारतवासी आजादी के 75 साल पुरे कर 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। इस आजादी के पीछे का कारण देश के कई सारे स्वतन्त्रता सेनानी और क्रांतिकारियों का बलिदान है। हमारे देश में सभी स्कूलों और कई सरकारी कार्यालयों में सभी लोग उत्साहपूर्वक इस दिन पर अपनी खुशी प्रकट करते हैं। साथ ही विद्यालयों में छात्रों में भाषण प्रतियोगित होती हैं, साथ ही इस दिन पर देश के माननीय प्रधानमंत्री जी राजधानी दिल्ली में लाल किले में राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण करते हैं, और जिनके बलिदानों के कारण हमको आजादी मिली उनको धन्यवाद करते हैं। लोग अपने-अपने विचार व्यक्त करते हैं, देशभक्ति गीतों पर छात्र अपनी प्रस्तुति देते हैं। अगर आप भी अपने स्कूल में होने वाले भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हो और स्पीच की तैयारी कर रहे हो तो यहाँ से देखकर आप 15 अगस्त पर छोटा भाषण तैयार कर सकते हैं।

15 अगस्त पर छोटा भाषण
15 अगस्त पर छोटा भाषण

15 अगस्त (स्वतन्त्रता दिवस) पर भाषण -1

यहाँ पर विराजमान अतिथियों, नमस्कार, प्रधानाचार्य, शिक्षकों और मेरे सभी दोस्तों/भाई बहनों को मेरा नमस्कार। साथ ही मेरी और से आप सभी को स्वत्रंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें। ये तो हम सभी जानते हैं कि,आज आप और हम सभी यहाँ पर अपने 76वें स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर एकत्रित हुए हैं। हम सभी देशवासियों के लिए आज 15 अगस्त का दिन हमारा राष्ट्रीय पर्व है। आज ही के दिन 15 अगस्त सन् 1947 को हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी के 200 सालों बाद आजादी मिली थी। अंग्रेजों द्वारा 1857 से लेकर 1947 तक हमारे देश की जनता पर अत्याचार किये गए थे। जिन लोगों के स्वतन्त्रता संग्राम शुरू किया जाता वे उनको भी मौत के घाट उतार देते।

मौत की सजा मिलने के बाद भी स्वत्रंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने हार नहीं मानी और आखिरकार अपना बलिदान दे कर देश को उन्होंने आजाद करवा दिया और अंग्रेजों को भारत से बहार खदेड़ डाला। 15 अगस्त सन् 1947 को हमारा देश भारत स्वतंत्र राष्ट्र बन पाया। इसी कारण तभी से प्रतिवर्ष 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन हम उन सभी स्वतन्त्रता सेनानियों और उन सभी क्रांतिकारियों को नमन करते हैं जिनके बलिदान के फलस्वरूप हमें आजादी मिल सकी। आज मैं उन सभी स्वतन्त्रता सेनानियों और जिन सभी लोगों ने हमारी आजादी के लिए अपनी क़ुरबानी दे दी उनके लिए मैं अपने कुछ विचार आप सभी के समक्ष रखने जा रही/रहा हूँ। शुरुआत है कि –

रिश्ता हमारा ऐसे ना तोड़ पाए कोई,
दिल हमारे एक है एक है हमारी जान,
हिन्दुस्तान हमारा है हम है इसकी शान।
जान लूटा देंगे वतन पे हो जाएँगे क़ुरबान,
इसलिए हम कहते है मेरा देश महान।

हमारे देश में उस अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत तो तब शुरू हुई थी जब एक भारतीय क्रांतिकारी मंगल पांडेय द्वारा अंग्रेज अफसर को गोली मार दी थी, यही से शुरू हुआ था अंग्रेजों के खिलाफ यह आजादी का संग्राम अंग्रेजी शासन में अंग्रेजों के खिलाफ हर और लोगों में क्रांति फैलानै लगा था। लेकिन इतनी सरलता से हमारे देश वासियों को यह आजादी नहीं मिली थी इसके लिए देश के कई सारे महापुरुषों ने जैसे मंगल पांडे, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, लोक मान्य तिलक, रामप्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय,खुदीराम बोस, गाँधी जी, जैसे कई सारे स्वतन्त्रता सेनानियों ने इस आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया और सारा देश इस लड़ाई में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने लगा।

इन प्रयासों में आंदोलन करने वाले लोगों में से कई लोगों को गोली मारकर हत्या कर दी गई, इसी प्रकार अंग्रेज सरकार द्वारा आंदोलनकारियों को कभी जेल में बंद कर वहाँ प्रताड़ित किया जाता तो कभी गोली मार देते। लेकिन इस सब के पश्चात भी अंग्रेज देश के स्वतन्त्रता सेनानियों के जज्बे को हिला न सके और आख़िरकार अंग्रेजों को हार मानकर भारत देश को छोड़कर भागना ही पड़ा।

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी

देश को आजादी प्राप्त होने के बाद स्वतन्त्रता के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा)लाल किले पर फहराया था। और तभी से हर साल देश के प्रधान मंत्री द्वारा लाल किले पर तिरंगा फहराया जाता है। और उन सभी स्वतन्त्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इसी प्रकार हमारे राष्ट्र को अंग्रेज शासन से आजादी मिली थी। हम सभी को इस बलिदान का सम्मान करना चाहिए और इस से एक सिख लेनी चाहिए, की कोई कितना भी अत्याचार कर ले लेकिन जीत आखिर सही और सचाई को ही मिलती है।

यहाँ इतने सालों तक लोगों पर अत्याचार करने के बाद भी जाते-जाते अंग्रेजों ने भारत को 2 टुकड़ों में बाँट दिया। मैं अपने शब्दों को यहीं पर विराम देते हुए एक बार आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें देती/देता हूँ। और उन सभी क्रांतिकारियों और स्वतन्त्रता सेनानियों को नमन करती/करता हूँ। इन दो पंक्तियों के साथ मेरे विचारों को समाप्त करती/करता हूँ।

फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा, इस देश के रिश्तों को तोडा था,
फिर भारत को दो भागो में बाँटा, एक हिस्सा हिन्दुस्तान और दूसरा पाकिस्तान कहलाया था।।

15 अगस्त पर भाषण-2

माननीय प्रधानाचार्य जी, मेरे सभी गुरुजन और सभी सम्मानित अतिथिगण और मेरे सभी मित्रगणों को नमस्कार। हम सभी आज अपने राष्ट्र की आजादी की 76वीं वर्षगांठ मनाने के लिए यहाँ पर आये हैं। पहले तो मेरी और से आप सभी को ससम्मान स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) की हार्दिक शुभकामनायें। आज हमारे लिए यह बहुत ही बड़ी बात है की हम इस प्रकार से आजादी से अपने देश में रह रहे हैं, आज से 76 सालों पहले तक हमारे देश पर अंग्रेजों द्वारा अत्याचार किया जाता आ रहा था।

अंग्रेज सन् 1857 के समय में हमारे देश में व्यापार करने आये थे लेकिन हमारे देश की चीजों से उनको अधिक मात्रा में लाभ मिलता था, लेकिन इसके साथ ही अंग्रेज जान चुके थे की हमारे देश में हर राज्य दूसरे राज्य का शत्रु बना बैठा है। एक राजा दूसरे राज्य पर हमला कर उन पर कब्जा कर लेते हैं। इसका लाभ उठाने के लिए अंग्रेजों ने अलग-अलग राज्यों के राजाओं को और उनकी जनता को धर्म और जाति के नाम पर भड़का कर आपस में लड़वाना शुरू कर दिया। जिसमे की वे सफल भी हो गए।

आपसी कलह के कारण से। वर्षों पहले परतंत्र हुआ।

पंद्रह अगस्त सन् सैंतालीस। को अपना देश स्वतंत्र हुआ।।

भारत में हर चीज के उपलब्ध होने के कारण किसी चीज की कमी न होने के कारण हमारा देश खुशहाल था, इसी कारण भारत को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। लेकिन अंग्रेज भी यह बात भांप गए की उनको यहाँ पर बहुत ही लाभ होने वाला है। जिसके कारण वो धीरे-धीरे यहाँ राज करने लगे जमीने हड़पने लगे, इसी प्रकार अंग्रेज राज शुरू हो गया, और आपस में लड़ने वाले राजा कुछ खुद को बचाने के लिए अंग्रेजों के साथ हो गए और अंग्रेजों ने भारतीय जनता पर अत्याचार शुरू कर दिए।

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

लेकिन अंग्रेजों की इस चाल को समझने में कुछ लोग सफल हुए जिनके द्वारा यह स्वतन्त्रता संग्राम शुरू किया गया था। इस स्वत्रंत्रता संग्राम में हमारे बीच बैठे लोगों में ही लोगों के परिवार से भी कुछ स्वतन्त्रता सेनानी रहे होंगे। इस आजादी की लड़ाई को जीत पाना कोई इतनी आसान बात नहीं थी, स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए कई महापुरुषों मंगल पांडे,सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, लोक मान्य तिलक, रामप्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय,खुदीराम बोस, गाँधी जी, ने और क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों को राष्ट्र के लिए न्यौछावर कर दिया था।

वतन का ज़ज्बा ऐसा, जो सबसे लड़ता जा रहा था,
लड़ते लड़ते जाने गई, तब भारत आज़ाद हुआ था
..

दोस्तों अंग्रेजी शासन के वक़्त मिलने वाली सरकारी नौकरियों में भारतियों को किसी बड़े पद पर नौकरी नहीं दी जाती थी। सेना में केवल सिपाही की नौकरी मिलती थी। इसी प्रकार कई क्रांतिकारियों ने अंग्रेज सेना में भर्ती होकर भी आजादी की लड़ाई लड़ी। क्या आप जानते हैं कि पहली बार कैसे अंग्रेजी शासन के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था। मंगल पांडे अंग्रेज सेना में सिपाही पद पर थे, जब अंग्रेजों द्वारा मेरठ छावनी (उत्तर प्रदेश) में लोगों पर गोली चलाने का आर्डर दिया गया, तो सिपाही मंगल पांडे द्वारा इसके विरोध में और इन बंदूकों में इस्तेमाल होने वाले गाय की चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में गोली नहीं चलाई गई। लेकिन विरोध में मंगल पांडे द्वारा आक्रोश में एक अंग्रेज अफसर पर गोली चला दी गई थी।

फांसी चढ़ गए और सीने और गोली खाई,
हम उन शहीदों को प्रणाम करते है ,
जो मिट गए देश पर,
हम शहीदों को प्रणाम करते है।

मंगल पांडे द्वारा किये गए इस विरोध के बाद जंगल की आग जैसे ही पुरे देश में यह विरोध की आग फ़ैल गई, और देश के कई युवा और महापुरुषों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू किया। और विरोध करने और अंग्रेज अफसर को गोली मरने के परिणामस्वरूप मंगल पांडे को भी मौत की सजा मिली।

लेकिन जाते जाते वे देश में आजादी की लड़ाई की चिंगारी भड़का कर गए। जिसके पश्चात हमारे देश के कई महापुरुषों, स्वतन्त्रता सेनानियों ने और क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को देश से जाने पर मजबूर कर दिया। और हमको वे आजादी दे कर चले गये। इसी के साथ मैं अपने शब्दों को विराम देती/देता हूँ।

चलो फिर से खुद को जगाते है,
अनुसाशन का डंडा फिर घूमाते है,
सुनहरा रंग है गणतंत्र स्वतंत्रता का,
शहीदों के लहू से ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकाते है

स्वतन्त्रता दिवस पर भाषण 3

सुभप्रभात, आदरणीय प्राचार्य, शिक्षकगण, अतिथि, और सभी सभी अभिभावकजनों को आज हमारे राष्ट्र की आजादी की 76वीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाईयाँ। और आप सभी का धन्यवाद की आपने मुझे मेरे विचार आप सभी के समक्ष रखने का अवसर प्रदान किया।

आज के ही सन्1947 में दिन हमारे देश के स्वतन्त्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों के बलिदानों के कारण हमको आजादी मिल पाई थी। हम उनके आभारी हैं, जिनके बलिदानों क कारण हम आज इतनी स्वतन्त्रता और इतनी ख़ुशी के साथ 15 अगस्त स्वतन्त्रता पर्व मना पा रहे हैं। कई सौ सालों पहले भारत में व्यापार के नाम पर आये अंग्रेजों ने भारत के लोगों में आपसी फूट के कारण इसका लाभ लेना चाहा और जिसमे की वे सफल भी हो गए। अंग्रेजी शासन द्वारा हमारे देश पर पूरे 200 साल तक राज किया गया और देश की जनता पर अत्याचार। और अंग्रेजों के अत्याचारों को खत्म करने का एक ही तरीका था की वे किसी भी कीमत पर भारत छोडकर चले जायें।

दोस्तों अंग्रेजों के भारत आने से पहले से ही हमारे देश में आपसी लड़ाईयाँ चल रही थी। एक राजा दूसरे राज्य पर अधिकार जमाना चाहता, इसी तरह सब एक दूसरे के दुश्मन बने थे, जाति धर्म को लेकर सब आपस में झगड़ते। जब अंग्रेज भारत आये तो वे भारतीयों के इन आपसी विवादों को जान गए और इसका फायदा उठाने के लिए सभी राजाओं को भड़काकर आपस में लड़वाकर धीरे से खुद ही सारे देश पर कब्जा कर गए। और यह आपस में लड़ने वाले राजा भी कुछ न कर सके।

इस प्रकार से देश पर कब्जा करने के बाद अंग्रेजों ने धीरे-धीरे देश की जनता पर हर तरह के अत्याच्यार करने शुरू कर दिए। दिन ब दिन अंग्रेज अपना अत्याचार बढ़ाते ही गए, सारे काम भारतियों से करवाते और उनको उनकी ही मेहनत का कोई हिस्सा भी न लेने देते, यहाँ तक की लोगों के पास खाने के लिए भोजन भी न होता। वो भारतीयों की धार्मिक आस्था का भी मजाक उड़ाते, बंदूकों में गाय की चर्बी का कारतूस लगाते। लोगों से लगान वसूलते, बेवजह लोगों से कर लेते थे। अंग्रेज वह हर प्रयास करते जिससे की वो भारतीय जनता पर अत्याचार कर सके।

लेकिन ये तो आपने सुना ही होगा जब कभी कहीं भी कोई अत्याचार जन्म लेता है, तो वही पर उसको खत्म करने वाला भी जन्म लेता है। इसी प्रकार भारत की जनता पर जब अंग्रेजों द्वारा अत्याचार बढ़ाये जाते रहे तो देश के कुछ महापुरुषों द्वारा इसका विरोध किया गया और उनकी इस आजादी की लड़ाई के चलते कई स्वतन्त्रता सेनानियों ने और क्रांतिकारियों ने अपने राष्ट्र और भारत माता को आजादी दिलवाने के लिए प्राणों को भी अपने राष्ट्र पर न्यौछावर कर दिया। और हमारे लिए आजादी छोड़ गए। लेकिन क्या हम सबको पता है कि हम पूर्णतः आजाद हैं।

शायद हाँ भी और नहीं भी। उन सभी महापुरुषों और उन सभी लोगों के बलिदान के बाद हमारे देश के लोगों को वो आजादी वो स्वतंत्रता मिल पाई, जो की वो सभी क्रन्तिकारी चाहते थे ? शायद नहीं आजादी के इतने सालों बाद भी हम सभी ने एक दूसरे को अपने नीचे रखना चाहते हैं। दूसरों की खुशियों पर हम ईर्ष्या करते हैं। और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज जब अंग्रेजों का कोई नामो-निशान इस देश में नहीं है, उसके पश्चात भी हमारे लोग आपस में जाति धर्म और कई तरह की छोटी बड़ी बातों पर आपस में लड़ते रहते हैं। आज भी देश में आंतरिक युद्ध की संभावना हो जाती है कभी तो।

आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे,
बची हो जो एक बूँद भी गरम लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे

देशभक्ति के नाम पर देशभक्ति से जुड़े गीत सुन लेना, या फिर किसी विपक्षी देश, या फिर किसी भी व्यक्ति को गालियाँ देना। देशभक्ति नहीं कहलाती है। देशभक्ति का अर्थ जब तक हम समझ नहीं पाते तब तक हम स्वयं ही अपने राष्ट्र के दुश्मन हैं। हम सभी सोचते हैं, की देश का झंडा लहराने लगे तो हम देशभक्त हैं। निःस्वार्थ जब हम किसी व्यक्ति के लिए कार्य करते हैं। या फिर जब हम बिना किसी कारण किसी की सहायता करते हैं। वो भी देशभक्ति से कम नहीं है। देशभक्त बनने के लिए हमको अपने अंदर पहले एक अच्छे और सच्चे मनुष्य की भाँति मानवता को जन्म देना होगा तभी हम देश के लिए कुछ कर सकते हैं, किसी भी स्थिति के लिए दूसरों को दोष देने से पूर्व हमको ये जानना जरुरी होगी कि हम इस बात के कितने जिम्मेदार हैं,

हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं, देश के सभी लोगों को केवल जब कोई राष्ट्रिय पर्व आता है तभी देशभक्ति की याद आती है, जैसे आज लोगों द्वारा देशभक्ति के गीतों के साथ लम्बे चौड़े लेख लिखे जाते हैं, कि देश के वो ऐसे वैसे, ये दो पल के लिए इंटरनेट और सोशल मिडिया पर अपनी देशभक्ति का प्रचार करने की जगह हम आजीवन अपने कर्तव्यों का पालन करते रहें तो हमको किसी के बारे में बोलने सुनने की आवश्यकता ही ना होगी। हम सभी भाग्यवान हैं, कि हमारा जन्म इस देश भारत माता की गोद में हुआ है।

चलो फिर से आज वह नजारा याद कर लें।

शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला याद कर लें

जिसमे बहकर आजादी पहुंची थी किनारे

आओ मिलकर उनको याद कर लें, देशभक्तों की खून धारा हम याद कर लें

भाषण किस प्रकार से दें?

  • भाषण तो सभी लोग देते हैं लेकिन सबसे अलग और शानदार, जोशीला भाषण देने के लिए आपको सबसे पहले अपना संक्षिप्त परिचय देना होगा।
  • आप जो बोलने वाले हैं उन सभी विषयों पर ध्यान दें।
  • भाषण देने से पूर्व भाषण देने का अभ्यास करें।
  • ज्यादा लम्बे वाक्यों का प्रयोग करने से रुकें/बचें।
  • श्रोतागण की और देखते रहें, जिससे कि आपके बोलने के तरीके से वे भी प्रभावित हों।
  • बीच में कोई देशभक्ति से जुड़े उल्लेखों का प्रयोग करते रहें।
  • और भाषण समाप्त होने पर देशभक्ति गीत के साथ समापन करें।

दोस्तों उन सभी स्वतन्त्रता सेनानियों के बलिदान और क्रांतिवीरों की क्रांति और उनके बलिदानो के बाद ही हमे ये आजादी मिली है। हमारा भी फर्ज है, कि हम इस आजादी का सम्मान करें उन सभी महापुरुषों का सम्मान करें जिनके बलिदानों के बाद हमको ये स्वतंत्र जीवन प्राप्त हुआ है। हमको उन सेनानियों का सम्मान तो करना चाहिए ही साथ में, आज वर्तमान समय में हमारे देश की फ़ौज/सेना हैं। उनका भी आभार करना चाहिए। जो कि बरसात हो या सर्दी या फिर कितनी ही गर्मी हो सदैव ही देश की रक्षा के लिए खड़े रहते हैं। जो कि अपने जीवन और किसी भी चीज की परवाह नहीं करते हैं। और इसी प्रकार देश की पुलिस भी उसी प्रकार के सम्मान की हकदार है। जब तक हम खुद किसी को सम्मान नहीं देंगे वो भी हमको बदले में सम्मान नहीं देते। इसी कारण हमको देश के लिए पहले खुद को बदलना होगा तभी जाकर हम दूसरों से भी उम्मीद कर सकते हैं।

घायल पड़ा शेर है, फिर भी जज़्बा कमाल का है
जेल में सड़ी गली रोटियाँ है फिर भी आज़ादी की बिगुल बजा रहा है
पानी को तरसा है पर खून में उफ़ान है
ऐसे शहीदों को हम देशवासियो का नमन बारम्बार है।

और आपस में और खुद से भी ये वचन ले लें कि हम अपने देश के लिए सदैव उपस्थित रहेंगे और जरूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह न करते हुए हाजिर होंगे। अपने आस-पास के लोगों को केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि अच्छी मानसिकता के साथ भी शिक्षित करना हम सभी का फर्ज है।

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