Komaram Bheem Biography in Hindi: कोमाराम भीम भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी (फ्रीडम फाइटर) थे। वह एक क्रांतिकारी आदिवासी थे इसी के साथ वह सेंट्रल और साउथ सेंट्रल (मध्य एवं दक्षिण मध्य) से संबंध रखते थे। उन्हें हैदराबाद के सामुदायिक क्रांतिकारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जाना जाता है क्यूंकि उन्होंने निजाम आसफ जली द्वारा किये गए अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और लड़ाई के दौरान वह वीरगति को प्राप्त होगये। चलिए आज हम आपको महान स्वतंत्रा सेनानी कोमाराम भीम के जीवन परिचय, बचपन, जन्मतिथि पत्नी, परिवार, जीवन की इम्पोर्टेन्ट इवेंट, कोमाराम भीम का निजाम रूल के खिलाफ संगर्ष की कहानी, उनकी हत्या आदि के बारे में बताने जा रहे है।

जानकारी के लिए बता देते है कोमाराम भीम ने सबसे पहले जल, जंगल और जमीन का नारा दिया जिसका मतलब ये है कि जितने भी लोग जंगल में रहते है उन्हें जंगल के जल और सभी संसाधनों पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए।
Komaram Bheem Biography in Hindi
कोमाराम भीम का जन्म 22 अक्टूबर 1901 में तेलंगाना राज्य के कोमाराम भीम जिले के संकेपल्ली गांव के एक आदिवासी परिवार में हुआ। उनकी पत्नी का नाम सोम बाई था। जानकारी के लिए बता दें, कोमाराम भीम जिले को पहले असिफाबाद जिले के नाम से जाना जाता था। .यह जिला तेलंगाना और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर स्थित है। कोमाराम ने छोटे से ही अंग्रेजों और निजाम का शासन देखा। कोमाराम भीम ने बचपन में कोई पढाई लिखाई नहीं की।

जानकारी के लिए बता दें, इस क्षेत्र के आदिवासियों की फसलों के बड़े हिस्से को निजाम के आदमी ले जाते है और यह बोला जाता है कि यह जमीन निज़ाम की है। बता दें, जंगल मिया पेड़ काटने के आरोप में आदिवासी महिला, पुरुष और बच्चो तक को टार्चर किया जाता था। पहले से ही कोमाराम भीम के पिता आदिवासियों के अधिकारों की बात करते थे जिसकी वजह से इन सभी विवादों के कारण बीच एक फारेस्ट अफसर ने उन्हें गोली मार दी जिससे उनकी मृत्यु हो गयी है। इसके बाद इन सभी घटनाओं से दुखी होकर कोमाराम भीम और उनके परिवार संकेपल्ली से सरदारपुर शिफ्ट हो गए।
कोमाराम भीम के जीवन की इम्पोर्टेन्ट इवेंट
कोमाराम भीम के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना की बात की जाएं तो एक बार पटवारी अपने कुछ दोस्तों के साथ आया और टैक्स वसूलने के नाम पर लोगों से बदसलूकी करने लग गया। उसकी बदसलूकी देखकर कोमाराम को बहुत गुस्सा आया और उनके हाथों सिद्दीकी नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गयी। इस घटना ने कोमारम भीम की पूरी जिंदगी बदल कर रख दी।
इसी घटना के कारण वह अपने दोस्तों के साथ भागकर चंद्रपुर चले गए और वह कुछ दिन प्रिंटिंग प्रेस के काम में लग गए। इसके बाद कोमाराम ने वह रहकर हिंदी, इंग्लिश और उर्दू सखी। जिसके बाद कोमाराम भीम चंद्रपुर से असम चले गए असम जाने के लिए उन्होंने ट्रैन का सहारा लिया। असम में रहकर उन्होंने चाय बागान में काम किया लेकिन वह भी चाय बागान में हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें काम से निकाल दिया गया और उन्हें 4 दिन के जेल भी भेज दिया। असम में रहते हुए उन्होंने अल्लूरी सीताराम राजू के बारे में सुना जो कि आंध्र प्रदेश में अंग्रेजों के द्वारा किये गए अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। उनकी इसी हिम्मत को देखकर कोमाराम उनसे बहुत खुश हुए। असम से वापस आने के बाद वह अपनी माँ और भाई के साथ काकन घाट चले गए जिसके बाद वह गांव के मुखिया के साथ कमा करने लगे। गांव के मुखिया लच्छु पटेल ने इनकी शादी सोम बाई के साथ करवाई। बता देते है कोमाराम ने मुखिया के एक पुराने जमीन के विवाद को सोल्व किया जिससे लोगों ने उन्हें पसंद किया।
कोमाराम भीम का निजाम रूल के खिलाफ संगर्ष की कहानी
कोमाराम भीम ने निजाम के खिलाफ संगर्ष तब किया जब वह और उनका परिवार भाबेझारी चले गए और वहाँ जाकर खेती करने लगे। खेती करने के बाद जब फसल काटने का टाइम आया तब निजाम के आदमी वह हिस्सा लेने पहुँच गए। वह उन्होंने उनकी जमीन को निजाम की बता कर उनसे अपने अनुसार मनमाना टैक्स देने की मांग करके उन्हें धमकाया। इस मामले को सुलझाने के लिए कोमाराम ने निजाम से मुलाकात करनी चाही थी लेकिन उन्हें किसी ने भी मिलने का समय नहीं दिया। इसके बाद धीरे-धीरे निजाम का अत्यचार बढ़ने लग गया जिसके बाद कोमाराम भीम ने अपने दोस्तों के साथ मिक के निजाम के खिलाफ विद्रोह किया और अपने गांव के युवाओं को इकठ्ठा कर जल, जंगल और जमीन का नारा दिया।
बता दें, उनके इस विद्रोह में कई आदिवासी समुदाय और अन्य लोग ने भी कोमाराम भीम के इस विद्रोह में शामिल होने लगे जिसके बाद धीरेधीरे निजाम की सेना और कोमाराम के लोगों में झड़पे होने लगी। कोमाराम भीम का 12 गांव में अधिकार हो गया। साल 1928 से लेकर 1940 तक निजाम के खिलाफ लगातार संगर्ष किया जिसके बाद आदिवासियों की इस क्रांति से निआम काफी घबरा भी गया था और उन्हें समझौते का पर्यतन भी किया लेकिन फिर भी दोनों पक्षों में समझौता नहीं हुआ।
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कोमाराम भीम की हत्या
जब कोमाराम और निजाम की लड़ाई चल रही थी तब उन्होंने अपनी एक बड़ी सेना को कोमाराम को पकड़ने के लिए भेजा। जिसके बाद अशौजा पूर्णिमा के दिन निजाम के तालुकदार अब्दुल सत्तार ने 1940 ईस्वी में अपने सैनिकों के साथ कोमाराम भीम और उनके साथियों को घेर लिया था जिसके बाद उन्हें आत्समर्पण करने को कहा लेकिन इन्होने खुद को समर्पण करने की जगह संघर्ष के पथ को चुना। जिसके बाद उनके बीच लगातार संघर्ष हुआ और उसमे कोमाराम के साथ 15 लोग शहीद हुए।
जानकारी के लिए बता दें, कोमाराम भीम मंत्रो के बहुत बड़े जानकार थे। जिसके वजह से निजाम की सेना ने सोचा कि कही वो दोबारा जिन्दा ना हो जाएं इसलिए वह कोमाराम भीम को तब तक गोली मारते रहे जब तक उनके शरीर से प्राण नहीं निकले। उनकी मृत्यु की खबर सुनकर हर जगह कोहराम च गया और आदिवासी समाज में मातम छा गया लेकिन उनके मृत्यु के बाद भी लोग आज तक उन्हें देवता की तरह मानते है और उन्हें आराध्य के रूप में पूजते है। बता देते है उनके सम्मान के लिए साल 2016 में तेलंगाना के असिफाबाद जिले का नाम बदलकर कोमराम भीम नाम रखा।
कोमाराम की प्रसिद्धि (पॉपुलैरिटी)
बता देते है, आज भी आंध्र प्रदेश में गोंडी समुदाय का प्रतिनिधित्व समय-समय पर कई नेताओं द्वारा किया जाता है परन्तु जो सम्मान और उपलब्धि कोमाराम भीम को प्राप्त हुई वह किसी को नहीं मिले। आज के समय में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के गोंडी समुदाय के लोगों द्वारा उनकी पुण्य तिथि को बहुत अच्छे से मनाया जाता है। आज के समय में भी वहां के लोग उन्हें याद करते है।
कोमाराम के जीवन पर आधारित फ़िल्में (Films Based on the life of Komaram)
कोमाराम भीम को आज भी याद किया जाता है। उनकी उपलब्धि इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी मृत्यु के 80 साल पूरे होने के पश्चात भी लोगों में उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई। उनकी इसी याद में समय-समय पर फिल्में भी बनाई जाती है ताकि लोग उन्हें हमेसा ऐसी ही याद रखे।
उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म जिसका नाम कोमाराम भीम करके साल 1990 में रिलीज़ हुई। यह मूवी तेलगु भाषा में रिलीज़ की जो बहुत ही सुपरहिट हुई और इस फिल्म के लिए उन्हें बहुत अवार्ड्स भी मिले।
जिसके बाद तेलगु भाषा में ही एक मूवी RRR रिलीज़ हुई। यह मूवी S.S राजमौली ने डायरेक्ट की। बता दें, यह मूवी कोमाराम भीम के जीवन पर बेस्ड है। इस मूवी में कोमाराम की भूमिका साउथ इंडियन फिल्म के फेमस एक्टर NTR JR नजर आने वाले। इसमें अल्लूरी सीताराम राजू की भूमिका में रामचरण तेजा ओर विटोबा की भूमिका में अजय देवगन नजर आएं। कोमाराम भीम के जीवन पर बानी आधारित मूवी लोगों के दिलों में हमेशा जगह बनाती है और लोगों को अपने साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए हमे प्रेरित भी करती है।

तो दोस्तों ये थी कोमाराम भीम के जीवन से जुडी थोड़ी बहुत जानकारी। उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आएगी और ऐसी ही जानकारी जानने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।