भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला क्यों है, जानें इसके पीछे का कारण

भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला क्यों है: हिन्दू धर्म और भारत में श्री कृष्ण को नारायण का ही एक अवतार मानते हैं, जिनमे से एक श्री राम भी हैं। श्री कृष्ण के द्वारा महाभारत के दौरान अर्जुन को दिए गए गीता का ज्ञान वर्तमान समय में मनुष्यों के लिए बहुत ही ज्ञानदायक है। कृष्ण को राधा-कृष्ण की प्रेम कथा के कारण प्रेम का प्रतिक भी माना जाता है। लेकिन आपने देखा होगा कृष्ण को श्याम या नीले रंग में दर्शाया जाता है। लेकिन ऐसा क्यों इसके पीछे अलग-अलग बातें, कई तरह की दंतकथाएं हैं। आज इन्ही में से कुछ के बारे में हम इस लेख में जानकारी लेकर आये हैं की श्री कृष्ण के नीले रंग के पीछे लोग क्या-क्या कारण मानते हैं। तो चलिए जानते हैं, की हम सभी के प्यारे लड्डू गोपाल के नीले रंग के पीछे का क्या राज है।

भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला क्यों है

श्री कृष्ण का रंग नीला क्यों है

यहाँ पर कुछ दंतकथाओं और लोगों द्वारा बनाई गई कथाओं और बातों के आधार पर बताया जा रहा है कि किन कारणों से श्री कृष्ण का रंग नीला है। तो चलिए जानते हैं।

नीला रंग अनंतता/असीमता और बुराई के अंत का प्रतिक माना जाता है। और इसी आधार पर कहा जाता है, कि श्री कृष्ण वो हैं जिनका कोई अंत नहीं है। वो सदैव रहेंगे, कहा जाता है इसलिए श्री कृष्ण का रंग नीला है। और कृष्ण जन्म के पश्चात वे बालपन से ही कई सारे राक्षसों का विनाश करते आये हैं। और पृथ्वी से बुराइयों का नाश करते हैं इसी लिए उन्होंने नीला रंग ग्रहण किया था।

पूतना राक्षसी का जहरीले स्तनपान करने से

श्री कृष्ण के जन्म से पहले ही कंस मामा को आकाशवाणी द्वारा पता चल जाता है की उनकी प्यारी बहन देवकी और उनके जमाता वासुदेव की संतान ही कंस का अंत करेगी। जिसके कारण कंस ने उन दोनों को कारगर में बंदी बनाकर रखा लेकिन जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो कंस को पता चला उनका जन्म गोकुल में हुआ है, तो कंस द्वारा कृष्ण को मारने के लिए पूतना नामक राक्षसी भेजी गई किन्तु श्री कृष्ण ने राक्षसी के स्तनपान करते समय जहर के साथ उसके प्राणों को भी खींच लिया। और वह मर गई। और उसके विष के कारण श्री कृष्ण का रंग नीला हो गया।

कालिया नाग के विष के कारण

यह तो सभी जानते हैं कि श्री कृष्ण को गाय और उनके बछड़े कितने प्यारे हैं, इसी कारण वह अपने मित्रों के साथ गायों को लेकर चराने जाते थे। और यमुना नदी के तट पर खेलते थे। एक दिन मित्रों के साथ खेलते समय उनकी गेंद जाकर नदी में गिर जाती है। और सब जानते थे कि नदी में कालिया नाग रहता है, जिसके डर से कोई गेंद लाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता, लेकिन कान्हा नदी में छलांग लगा देते हैं। और कालिया नाग के जहर से हुई जहरीली नदी में जाने पर और कालिया नाग से लड़ने के बाद और कालिया नाग को सबक सीखा कर गेंद लेकर वापस लौट आते हैं, लेकिन श्री कृष्ण के शरीर पर इस जहर का प्रभाव हो जाता है, जिसके कारण उनका रंग नीला हो जाता है।

  • यह भी माना जाता है कि प्रकृति जैसे जल/सागर, नदी, आकाश, सबका रंग नीला है, जिनमे की कृष्ण गोचर होते हैं। इसी कारण से कृष्ण का रंग नीला होता है। एक तरह से प्रकति में ही श्री कृष्ण हैं। ब्रह्मा सहिंता के आधार पर मन जाता है, कि श्री कृष्ण में नीले रंग के छोटे-छोटे बादलों का अंतर्वेशन है। जिसके कारण कृष्ण का रंग नीला दिखाई देता है।
  • माना जाता है कि श्रीकृष्ण में पूरा ब्रह्माण्ड निवास करता है/श्री कृष्ण के मुख में पूरा ही ब्रह्माण्ड समाहित है, जिसके कारण वे नील रंग के दिखाई देते हैं।
  • कुछ लोगों का मानना है, की श्री कृष्ण गहरे नीले सागरों में निवास करते हैं, जो की विष्णु के अवतार हैं। समुद्रों में निवास करने से श्री कृष्ण का रंग नीला है।
  • विख्यात पंडितों के मतों के अनुसार श्री कृष्ण का यह नीला रूप उनका आत्मिक रूप है, और श्रीमद्भागवत गीता के अनुरूप उनका यह रूप केवल वे ही लोग देख सकते हैं, जो की उनके परम भक्त होते हैं। अन्य कोई व्यक्ति नहीं।

तो दोस्तों ये थी कुछ कहानियाँ श्री कृष्ण के नील रंग के पीछे की। लेकिन यह तो कोई नहीं जनता होगा की उनका रंग वास्तविकता में कैसा था, उनके बारे में कहानियाँ सुनते हुए हमारा मन खुद ही उनकी कई तरह की छवियाँ बनाने लगता है। हम स्वयं ही उनको अलग-अलग स्वरूपों में अपने मन में बसा लेते हैं। शायद हो सकता है उनकी किसी भक्त ने उनके प्रेम में उनकी छवि की रचना करते हुए उस छवि को नीले रंग में रंग दिया हो, जिसके बाद सभी यह सोचते हों की वे नीले रंग के हैं। लेकिन वे किस रंग रूप के हैं, कहाँ हैं यह जान पाना इस संसार के लोगों के वश में तो शायद ही हो।

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