देश के लिए मर मिटने वाले दुनिया में कई ऐसे महान नेता रहे है जिन्होंने अपने देश को पहचान दिलाने के लिए खुद की जान की फ़िक्र तक नहीं की है। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से एक भारतीय राजनेता, क्रांति कार्यकर्ता, समाज सुधारक, विचारक, ड्रॉमिस्ट, कवी, वकील और एक राइटर के बारे में बताने जा रहे है। जी हां जिन क्रांतिकारी के बारे में बात कर रहे है उनका नाम है विनायक दामोदर सावरकर है। बता दें, विनायक को प्यार से स्वातन्त्र्यवीर और वीर सावरकर के नाम से भी बुलाया जाता था। चलिए जानते है विनायक दामोदर सावरकर का जीवन परिचय, विनायक दामोदर सावरकर कौन है, उम्र, पत्नी ,बच्चे , करियर, शिक्षा, परिवार, Vinayak Damodar Savarkar Biography in Hindi आदि के बारे में।

बता देते है सावरकर एक कट्टर तर्कबुद्धि वादी आदमी थे जो सब धर्म के रूड़ी वादी विश्वासों का बहुत विरोध करते थे। विनायक को साल 1992 में महाराष्ट्र की रत्नागिरी जेल (Ratnagiri Jail) में ब्रिटिश गवर्न्मेंट द्वारा हिरासत में लिया गया था। जिसके बाद वहां विनायक दामोदर सावरकर ने हिदुत्व की राजनैतिक विचारधारा को डेवेलोप किया जिसके चलते उन्हें हिन्दू राष्ट्रवादी के तौर पर मान्यता प्राप्त हुई। जानकारी के लिए बता देते है, उन्होंने हिन्दुओं के हिन्दू धर्म को वापस लौटने के लिए कई सारे प्रयास किये थे और अपने जीवन में कई सारे आंदोलन चलायें गए थे।
Vinayak Damodar Savarkar Biography in Hindi
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को भागूर, नासिक जिला, महाराष्ट्र भारत में हुआ था। इसी के साथ उनकी मृत्यु लम्बी बीमारी के चलते 26 फरवरी 1966 को हो गयी थी। जब उनकी मृत्यु हुई थी तब उनकी आयु 82 साल (Vinayak Damodar Savarkar age) थी। विनायक दामोदर सावरकर के पिता का नाम दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar Father’s Name) है। इसके अलावा उनकी माँ का नाम राधाबाई सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar Mother’s Name) है। इसी के साथ उनके दो भाई और 1 बहन है। है जिनका नाम गणेश दामोदर सावरकर, नारायण और मैना है।
इसी के साथ विनायक दामोदर सावरकर की पत्नी का नाम यमुना बाई सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar Wife Name) है। उनका एक बेटा और एक बेटी है जिनका नाम विश्वास सावरकर और प्रभात चिपलूनकर है।
जीवन परिचय | |
नाम | विनायक दामोदर सावरकर |
निक नेम | वीर |
व्यवसाय | भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, कवि, राजनेता, और लेखक |
फेमस | हिंदुत्व |
शारीरिक संरचना | |
बालों का रंग | काला |
आँखों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 28 मई 1883 |
जन्मस्थान | भागूर, नासिक जिला, बॉम्बे राज्य, ब्रिटिश भारत |
आयु | 82 साल |
मृत्यु तिथि | 26 फरवरी 1966 |
मृत्यु स्थान | बॉम्बे, महाराष्ट्र, भारत |
मृत्यु रीज़न | लम्बी बीमारी के कारण |
धर्म | हिन्दू |
राशि | मिथुन (Gemini) |
जाति | चितपावन ब्राह्मण हिंदू परिवार |
होम टाउन | भागूर, नासिक जिला, बॉम्बे राज्य, ब्रिटिश भारत |
स्कूल | जानकारी नहीं है |
कॉलेज | फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे |
शैक्षिक योग्यता | फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे से कला में स्नातक (1905) इंग्लैंड से कानून का अध्ययन |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विधुर |
विवाह तिथि | साल 1901, फरवरी |
फैमिली | |
पत्नी | यमुनाबाई सावरकर |
बच्चे | विश्वास सावरकर प्रभात चिपलूनकर |
माता | राधाबाई सावरकर |
पिता | दामोदर सावरकर |
भाई | गणेश दामोदर सावरकर नारायण दामोदर सावरकर |
बहन | मैना |
विनायक दामोदर सावरकर की शिक्षा (Vinayak Damodar Savarkar Education)
विनायक दामोदर की शिक्षा के बारे में बात करें तो उनकी स्कूल की पढाई की जानकारी हमे नहीं है। जिसके बाद उन्होंने अपने कॉलेज की फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे से पूरी की । बता दें, उन्होंने साल 1905 में आर्ट्स से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की है। इसके बाद वह आगे की पढाई के लिए बहार विदेश चले गए और वह जाकर उन्होंने इंग्लैंड से लॉ की पढाई पूरी की।

बता देते है विनायक जिस समय यूनाइटेड किंगडम में लॉ की पढाई कर रहे थे तब वह इंडिया हाउस और फ्री इंडिया सोसाइटी जैसे क्रांतिकारी ओर्गनइजेस्शन का पार्ट रहे थे।
वीर दामोदर थे गाँधी जी के विरोधक
साल 1942 में महात्मा गन्दी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुवात की जिसका विनायक ने विरोध किया। उन्होंने हिन्दू सभावादियों के रूल्स का पालन और युद्ध की स्थितियों के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। उन्होंने हिन्दू सभावादियों को स्टिक टू योर पोस्ट्स से पत्र लिखर भारत छोड़ो आंदोलन का ऑफिसियल रूप से विरोध किया। उन्होंने मुनिसिपलीटीएस, लोकल बॉडीज, लेजिस्लेचर्स मिलिट्री में सेवा सदस्यों को यह लिखा कि वह अपने पदों पर बने रहे और भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल ना हो।
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वीर सावरकर की मृत्यु (Veer Savarkar Death)
बता दें, 1 फरवरी 1966 को भोजन, पानी और दवाओं को त्याग दिया और खुद को आत्मार्पण कर दिया यानी मृत्यु तक उपवास रख दिया। अपने आखिरी दिनों के समय उन्होंने आत्महत्या नहीं आत्मार्पण टाइटल से एक आर्टिकल को पब्लिश किया जिसमे उन्होंने यह बताया कि जब किसी का जिंदगी का मिशन पूरा हो जाता है और समाज की सेवा करने की क्षमता नहीं रह जाती तो मरने का वेट करने के बजाय इच्छा पर जीवन खत्म करना बेहतर होता है।
जिसके बाद 26 फरवरी 1966 को बॉम्बे में विनायक दामोदर की अपने घर पर मृत्यु हो गयी। मृत्यु से पहले उन्हें सास लेने में कठिनाई हो रही थी और सभा 11 बजकर 10 मिनट में वह मृत करार कर दिए गए थे। बता दें, सावरकर के मरने के बाद उनके घर, संपत्ति को पब्लिक प्रदर्शन के लिए भारत सरकार द्वारा प्रोटेक्ट कर लिया गया।
वीर सावरकर जयंती
जितने भी स्वतंत्रा सेनानी रहे है उन्हें याद करने के लिए उनकी जयंती मनाई जाती है। लेकिन वीर सावरकर जयंती को 28 मई के दिन मनाया जाता है।

वीर सावरकर के जीवन पर बनी फिल्में
- साल 1996 में एक्टर अन्नू कपूर ने मलयालम फिल्म कालापानी में विनायक दामोदर का रोल प्ले किया था जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया था।
- बता दें, साल 2001 में सावरकर की एक बायोपिक मराठी और हिंदी म्यूजिक डायरेक्टर सुधीर फड़के द्वारा रिलीज़ की। इस मूवी में विनायक का रोल शैलेन्द्र गौर ने निभाया था।
चलिए जानते है विनायक दामोदर सावरकर से जुड़ी अन्य सभी जानकरियाँ
- जानकारी के लिए बता दें, विनायक दामोदर सावरकर हिन्दू महासभा पोलिटिकल पार्टी के नेता थे। उन्होंने अपने टाइम पीरियड के समय हिंदुत्व शब्द को पॉपुलर बनाने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया जिससे भारत का मुख्य सार हिंदू धर्म के माध्यम से बनाया जाएँ।
- सावरकर हिन्दू दर्शन के फोल्लोवेर और नास्तिक थे। इसी के साथ वह सीक्रेट सोसाइटी के फाउंडर थे जिसका नाम अभिनव भारत सोसाइटी है। उन्होंने यह गुप्त संस्थापक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय अपने भाई के साथ मिलकर शुरू किया था
- साल 1901 में विनायक दामोदर ने महाराष्ट्र के नासिक डिस्ट्रिक्ट की रहने वाली यमुनाबाई से शादी की थी। उनकी पत्नी का असली नाम यशोदा था। विनायक के भाई की पत्नी यमुनाबाई की अच्छी सहेली थी। विनायक द्वारा कई सारी देशभक्ति कविता और गीत उनकी पत्नी द्वारा गाये गए है।
- इसी के साथ यमुना आत्मनिष्ठ युवा समाज (Self-dedicated youth society) की मेम्बरशिप में शामिल हो गयी थी। .बता देते है इस ओर्गनइजेस्शन का विनायक सावरकर की भाभी ने भारतीय महिलाओं में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए स्थापित की थी। बता देते है इस संगठन की महिलाएं आबादरेकर के गाने और विनायक की पोयम्स जाती थी
- जानकरी के लिए बता दें, यामिना बाई के पिता जी भाऊराव ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए विनायक की सहायता की और उन्हें पढाई करने के लिए पैसे भी दिए।
- जिस समय Vinayak Damodar Savarkar इंग्लैंड में थे तब इंग्लैंड में लॉ की पढाई करते समय भारत के राष्ट्रवादी श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उनकी मदद की। लॉ की पढाई करने के बाद विनायक साल 1909 में बैरिस्टर और फिर ग्रे इन के मेंबर बन गए।
- साल 1902 में ही विनायक ने द इंडियन वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस नाम की एक बुक भी पब्लिश की जिससे ब्रिटिश गवर्नमेंट चिंता में पड गयी।
- साल 1910 में विनायक को ब्रिटिश सरकार ने कस्टडी में ले लिया था और क्रांतिकारी ग्रुप इंडिया हाउस के साथ उनके संबंध उभरने के बाद उनको भारत ले जाया गया। भारत ले जाते समय उन्होंने भागने के कोशिश भी की यही लेकिन वह भाग नहीं पाए। जिसके बाद फ्रेंच पोर्ट के अधिकारियों ने उन्हें पकड़ कर इंटरनेशनल लॉ का पालन ना करने पर ब्रिटिश गवर्नमेंट को सौंप दिया ,
- बता दें, भारत आने के बाद विनायक दामोदर सावरकर को अंडमान और निकोबार द्वीप ग्रुप में सेलुलर जेल में आजीवन कारावास की सजा दी गयी यानी वह 50 साल तक जेल में रहे।
- जानकारी के लिए बता दें, एक नॉटेड ऑथर के रूप में विनायक ने कई सारी बुक्स पब्लिश की जिसमे उन्होंने इस बात की वकालत की थी कि भारत में कम्पलीट फ्रीडम केवल क्रांतिकारी माध्यम से ही पायी जा सकती है। बता दें, बरिस्तिश सरकार ने उनकी इंडियन वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस नाम की एक बुक पर बैन लगा दिया था इस किताब में उन्होंने साल 1857 के भारतीय विद्रोह के बारे बताया था।
- बता दें, विनायक को जब जेल से रिहा किया गया था तो उन्होंने साल 1937 में एक ऑथर और एक स्पीकर के तौर पर हिन्दू राजनैतिक और सामाजिक एकता की वकालत करने के लिए पुरे भारत देश में ट्रेवल करना शुरू किया।
- साल 1938 में उन्हें मुंबई में मराठी साहित्य सम्मलेन (Marathi Literature Conference) के चेयरमैन एप्पोइंट किये गए। इसमें उन्होंने एक हिंदू राष्ट्र के रूप में भारत को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया।
- साल 1942 में कांग्रेस कार्यसमिति के वर्धा सेशन में कड़ा विरोध किया और उनके इस प्रोप्सल को ब्रिटिश गवर्नमेंट के पास भेजा गया जिसे इस तरह से पढ़ा गया था “भारत छोड़ो लेकिन अपनी सेना यहीं रखो”
- बता दें, जापानी आक्रमण से भारत की सेफ्टी के लिए कांग्रेस पार्टी के हिसाब से यह प्रोप्सल लिया गया था लेकिन विनायक भारत में अंग्रेजों के रहने के खिलाफ थे।
- विनायक हिन्दू महासभा के चेयरमैन के रूप में काम करते हुए उन्होंने अपने सारे डूयूटीस का पालन किया और जुलाई 1942 में उन्होंने इस पोस्ट से रिसायिन कर दिया ,जानकारी के लिए बता दें, उसी समय महात्मा गाँधी ने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू किया।
- बता दें, साल 1948 में विनायक दामोदर जी को महात्मा गाँधी की हत्या के आरोप में उन्हें पकड़ लिया गया लेकिन पक्के सबूत ना मिलने की वजह से उन्हें बाईजत बरी कर दिया था।
- जिस समय दामोदर 12 साल के थे तब उन्होंने महाराष्ट्र में हिन्दू-मुस्लिम दंगो के बाद अपने दोस्तों को अपने गांव में एक मस्जिद पर हमला करने के लिए उकसाया था। विनायक से जिस समय हमला करने का रीज़न पूछा गया तो उन्होंने एक मीडिया हाउस से बात करके सावरकर से कहा कि “हमने अपने दिल की बात के लिए मस्जिद में तोड़फोफ की”
- साल 1909 में विनायक के बड़े भाई गणेश सावरकर ने मार्ले मिंटो सुधारों (Morley-Minto Reforms) के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह का आयोजन किया था। जिसके बाद इस विद्रोह की साजिश में शामिल होने के आरोप में विनायक सावरकर को लंदन में अरेस्ट कर लिया था। बता दें, पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए वह कुछ टाइम पेरिस में भीकाजी कामा के घर पर रहे थे।
- बता देते है जिस समय ब्रिटिश सरकार ने उन्हें अरेस्ट किया था तो फ्रांसीसी गवर्नमेंट ने ब्रिटिश गवर्नमेंट के अगेंस्ट विरोध प्रदर्शन किया और यह तर्क दिया कि विनायक दामोदर को ब्रिटिश सरकार तब तक अरेस्ट नहीं कर सकती जब तक वह उनके बयानों के लिए प्रॉपर लीगल टेस्ट नहीं करते।
- इसके बाद विनायक दामोदर को ब्रिटिश सरकार द्वारा बॉम्बे ले जाया गया और उन्हें पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में बंद कर दिया। जिसके बाद उनपर नासिक कलेक्टर जेक्सन और राजा सम्राट के खिलाफ एक साजिश में शामिल होने का आरोप लगा। इसके बाद उन्हें 4 जुलाई 1911 को अंडमान और निकोबार द्वीप ग्रुप में ले जाया गया और पोलिटिकल कैदी के तौर पर सेलुलर जेल में रखा गया था।
- जिस समय दामोदर सावरकर सेलुलर जेल में थे तब उनकी पत्नी जेल में उनसे मिलने आयी थी और उन्हें भाई के साथ त्र्यंबकेश्वर से नासिक जाना था। लेकिन ब्रिटिश सरकार के दर से उनकी किसी भी दोस्त ने उनकी मदद नहीं की और उन्हें पूरी रात नासिक के मदिर में बितानी पड़ी।
- बता दें, जिस समय दामोदर सेलुलर जेल में बंद थे उन्होंने अपनी सजा में रियायतों के लिए बॉम्बे सरकार को कई सारी पिटीशंस (याचिकाएं) दी। परन्तु उनकी सारी याचिकाओं को ख़ारिज किया गया और उन्हें सरकार द्वारा यह भी सूचित किया गया कि उनकी पहली सजा खत्म होने के बाद ही उनकी दूसरी सजा पर विचार किया गया।
- इसके बाद दामोदर ने दोबारा साल 1917 में फिर से एक याचिका दायर की थी परन्तु इस बार उन्होंने सेलुलर जेल में सभी पोलिटिकल बंदी लोगों के लिए सामान्य माफ़ी का अनुरोध किया था। जिसके बाद साल 1918 में यह सूचित किया गया कि उनकी ब्रिटिश सरकार के पास प्रस्तुत की गयी थी। इसके बाद 30 मार्च 1920 को विनायक दामोदर सावरकर ने रॉयल अनाउंसमेंट का उल्लेख करते हुए ब्रिटिश गवर्नमेंट को अपनी चौथी याचिका दायर की और उन्होंने अपनी याचिका में यह लिखा था कि “अब तक बुकानिन तरह के उग्रवादी स्कूल में बीलीव करने से मैं कुरोपाटकिन या टॉल्स्टॉय के शांतिपूर्ण और दार्शनिक अराजकतावाद में भी योगदान नहीं देता “
- जानकारी के लिए बता उनकी इस याचिका को भी ब्रिटिश गवर्नमेंट ने 12 जुलाई 1920 को ख़ारिज कर दिया। जिसके बाद विनायक सावरकर को ही नहीं बल्कि उनके भाई गणेश स्वरकार को उनकी याचिकाओं पर विचार करने के बाद रिहा कर दिया।
- इसके बाद 2 मई 1921 को विनायक को 2 मई को रत्नागिरी जेल में ले गए। वह अपने टाइम पीरियड में उन्होंने एक हिंदुत्व की अनिवार्यता पर एक बुक लिखी। इसके बाद 6 जनवरी 1924 को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया परन्तु उन्हें रत्नागिरी जिले से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गयी।
- वहां विनायक ने रत्नागिरी में एक हिन्दू समाज संगठन स्टार्ट किया था। विनायक को ब्रटिश सरकार द्वारा एक बंगला दिया था जहाँ उन्होंने विजिटर को उनसे मिलने की अनुमति भी दी वहां उन्होंने महात्मा गाँधी, डॉक्टर भीमराव आंबेडकर, और नाथूराम गोडसे जैसे कई पावरफुल लोगों से मुलाकात भी की। वहां वह एक कुशल लेखक बने और साल 1937 तक वही रहे। जिस बीच विनायक को बॉम्बे प्रेसीडेंसी की न्यूली इलेक्टेड गवर्नमेंट ने रिहा कर दिया।
- वर्ल्ड वार 2 के समय विनायक दामोदर सावरकर हिन्दू महासभा के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने एक पॉलिटिशियन के रूप में “सभी राजनीति का हिंदूकरण और हिंदुत्व का सैन्यीकरण करें” नारे पर ध्यान केंद्रित किया।
- साल 1937 में भारतीय प्रांतीय चुनाव में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा को हराकर जीता था।
- साल 2002 में अंडमान और निकोबार द्वीप ग्रुप में पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे को भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में Veer Savarkar International Airport का नाम दिया।
- साल 1970 में भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए उनके नाम पर भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया।
- साल 2003 में इंडियन गवर्नमेंट द्वारा Indian Parliament House में सावरकर का पिक्चर स्थापित किया गया।
- विनायक दामोदर स्वारकार के मरने के बाद शिव सेना पार्टी ने इंडियन गवर्नमेंट से उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरूस्कार “भारत रत्न से सम्मानित करने की रिक्वेस्ट की।
- इसके बाद साल 2017 में शिवसेना के चीफ उद्धव ठाकरे ने स्वरकार को Bharat Ratna से सम्मानित करने के लिए फिर से याद दिलाया।
- जानकारी के लिए बता दें, दामोदर सावरकर के छोटे भाई और पत्नी को आठ साल बाद उनसे सेलुलर जेल से मिलने की इज्जाजत दी।
- खबरों के अनुसार एक बातचीत में विनायक दामोदर सावरकर ने मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ एक पोलिटिकल टूल के रूप में बलात्कार के विचार को सही ठहराया।
तो दोस्तों ये थी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन से जुडी थोड़ी बहुत जानकारी। उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आएगी और ऐसी ही जानकारी जानने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।